Friday 6 May 2011

सफर

फैसलों और फासलों से खीचा पड़ा है सफर,
रास्तों के मोड़ों पे मोडें जा रहे है नजर ,
नशे ने जो कुछ ऐसे चूमा हमें मंजिल की तरफ ,
छोड़ के आज का दामन, कल के साथ तै है सफर....

उन्ही लम्हों  के पीहर में सोने का बहाना है ,
यूँ ही मुड के देखूं  तो वो ख़ुशी से टेहेल रही है,
उनसे मिलने का शबाब हम टटोल नहीं पाये,
नाम है यादें, कहा दूर ही सही पर लौटके जरुर आना है...

P.S : कुछ ऐसे ही पैमानों से सजी है जिंदगी...
                   


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